रोजमर्रा की जिंदगी में हर कोई टेक्नोलॉजी के साथ अपना जीवन जी रहा है। हमारा दैनिक जीवन प्रौद्योगिकी पर निर्भर है। आज इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन के अभिन्न अंगों में से एक बन गया है। वह हमारे दैनिक जीवन के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। साइबर स्पेस हमें वर्चुअल रूप से दुनिया भर के करोड़ों ऑनलाइन उपयोगकर्त्ताओं से जोड़ता है। जहां दुनिया भर के लोग अपने निजी काम-काजों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। चाहे हमारा या फिर दफ्तर के कामकाजों में भी इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। आज के समय में इंटरनेट लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। हर कोई इंटरनेट को जानता है और इंटरनेट के पास हर एक डेटा है जो एक आम आदमी को चाहिए। ऐसे में लोग इंटरनेट के आदी होते जा रहे हैं, दिन प्रतिदिन मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ रही है। 2023 के अंत तक दुनिया की कुल आबादी में से 460 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। जीएसएमए की “द स्टेट ऑफ मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी रिपोर्ट 2023” के अनुसार, दुनिया की 57 प्रतिशत (लगभग 460 करोड़) आबादी अब मोबाइल इंटरनेट का उपयोग कर रही है। जैसे -जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं वैसे -वैसे भारत में साइबर क्राइम लागतार बढ़ता ही जा रहा है। ठग लोगों को अलग-अलग तरीके से टार्गेट करते हैं। साइबर अपराध और कुछ नहीं बल्कि सभी अवैध गतिविधि है जो इंटरनेट का उपयोग कर किया जाता है। ठग कई तरीके से लोगों को झांसे में लेकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। इंटरनेट की दुनिया अब साइबर अपराधियों के कारण सुरक्षित नहीं है। भले ही इंटरनेट लोगों के जीवन में बड़े बदलाव लाए हो लेकिन उतना ही खतरनाक साबित हो गया है। हर साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। साइबर अपराध कई प्रकार के होते हैं जिसमें हैकर्स/इलेक्ट्रॉनिक हैकिंग, सेवा हमलों से इनकार, फ़िशिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, बैंक डकैती, अवैध डाउनलोडिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, घोटाले, साइबर आतंकवाद और हानिकारक वायरस जैसी चीजें शामिल हैं। हालांकि इससे निपटने के लिए ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (www.cybercrime.gov.in) सभी प्रकार के साइबर अपराधों की आसान रिपोर्टिंग की अनुमति देता है। इस पोर्टल पर रखे गए आंकड़ों के अनुसार, 01.01.2020 से 07.12.2022 तक 16 लाख से अधिक साइबर अपराध की घटनाएं दर्ज की गई हैं और 32 हजार से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है। जिसमे लोग अपनी शिकायतें दर्ज करा सकता है। भारत में साइबर अपराध 1990 के दशक में इंटरनेट के आगमन के साथ शुरू हुई और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के साथ ही अपराध भी रफ्तार पकड़ रहा है। जैसे-जैसे देश में इंटरनेट की पहुंच और डिजिटलीकरण का विस्तार हुआ, इंटरनेट अपराध भी विकसित हुआ।
केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा ।
नई दिल्ली में गुरुवार को डिजिटल एक्सेलेरेशन एंड ट्रांसफोर्मेशन एक्सपो (डीएटीई) के उद्घाटन अवसर पर संबोधित करते हुए केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लोगों को फोन या एसएमएस के जरिये निशाना बनाए जाने वाले साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए सार्वजनिक मामलों पर सरकार समय-समय पर क्षेत्र के बैंकों की समीक्षा करती हैं। बैंकों के माध्यमों से लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है जब तक जागरूक नहीं हो जाते हम काम करते रहेंगे।
साइबर अपराधी से किस तरह बचें ।
साइबर कमजोरियों को संबोधित करने के लिए सरकार व्यवसायों, शैक्षणिक संस्थानों और व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के ठोस प्रयास की आवश्यकता है।
*अंनजान वेबसाइट को क्लिक न करें।
*स्मार्टफोन या कंप्यूटर बेचने से पहले पूरी डाटा क्लियर कर लें।
*किसी से ओटीपी शेयर ना करें ।
*पासपोर्ट यूनिक और मजबूत रखें।
*किसी को पेमेंट करने से पहले ठीक से जांच कर लें।
साइबर सुरक्षा कानून अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, जागरूकता बढ़ाना, प्रभावी साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करना और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, जिसे आमतौर पर आईटी अधिनियम 2000 के रूप में भी जाना जाता है, जिसका उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन और ऑनलाइन अपराधों से संबंधित विभिन्न कानूनी और नियामक पहलुओं को संबोधित करना है। यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों, डिजिटल हस्ताक्षर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन को कानूनी मान्यता प्रदान करता है।
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