नई दिल्ली, 10 जनवरी 2024
दुनियाभर की जनसंख्या का लगभग 18 फीसदी हिस्सा अकेले भारत में निवास करता है। ऐसे में यहां लोगों का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। एक सवाल यह भी बनता है कि यहां कितने लोग शिक्षित हैं? किसी भी व्यक्ति की पढ़ने, लिखने और समाज में खुद को व्यक्त करने की एक बुनियादी क्षमता होती है। इससे न केवल किसी भी देश के विकास में मदद होती है, बल्कि यह उस देश के आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है। वहीँ दूसरी ओर देखें तो NCRB रिपोर्ट के मुताबिक 18 वर्ष से कम उम्र के 10,000 से अधिक बच्चों की आत्महत्या से मृत्यु हुई। 2,000 से अधिक छात्रों के लिए परीक्षा में असफलता इसका कारण बनी। बच्चे अपनों से दूर अपने सपनों को लेकर कोटा, दिल्ली, हैदराबाद, जैसे बड़े शहरों में तैयारी करने के लिए लाखों बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर बनने का सपना लेकर आते हैं और उन्हें लगता है कि वहां पढ़ाई का माहौल मिलेगा और बड़ा शहर उनके सपनों को उड़ान देगा लेकिन कोटा में पिछले 8 महीने में 23 बच्चों ने सुसाइड कर लिया। इस बार नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा जीवन की रेस में हार गईं और कोटा आने के सिर्फ 5 महीने बाद ही खुदकुशी कर ली। एनसीआरबी रिपोर्ट से यह भी पता चला कि 18 वर्ष से कम उम्र के 1,123 छात्रों की आत्महत्या का कारण परीक्षाओं में विफलता थी। इनमें से 578 लड़कियां और 575 लड़के थे।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा भारत में मृत्यु और आत्महत्या 2022 पर जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 13 हजार से अधिक छात्रों ने अपनी जान ले ली। 2022 में सभी आत्महत्या से होने वाली मौतों में से 7.6% छात्र थे।
हर साल करीब 7 लाख लोग आत्महत्या करते हैं
सरकारी डेटा के मुताबिक, हमारे देश में साल 2021 में लगभग 13 हजार छात्रों ने आत्महत्या छात्रों ने आत्महत्या की थी। जबकि एक साल पहले यानी साल 2020 में 2021 के आंकड़े से 4.5 प्रतिशत कम आत्महत्याएं हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर साल करीब सात लाख लोग आत्महत्या करते हैं और 15-29 साल के उम्र वाले ज्यादा है वहीं एनसीआरबी के डेटा में शहर के अनुसार आत्महत्याओं का विवरण भी है। 2019 में - अपनी रिपोर्ट के अंतिम वर्ष में जहां कक्षाएं व्यक्तिगत रूप से आयोजित की गईं - ब्यूरो ने कोटा से 136 आत्महत्याएं दर्ज कीं, जिनमें से उसने सात को "परीक्षा में विफलता" के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसे देखते हुए भारत सरकार ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है। भारत में, इसका आयोजन कोचिंग सेंटर हब कोटा में 2015 के बाद से सबसे अधिक छात्र आत्महत्याएं दर्ज होने और आईआईटी दिल्ली में दो दलित छात्रों द्वारा दो महीने के भीतर आत्महत्या करने के कुछ ही दिनों बाद हुआ है।
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